ख़ुशी के खाते से चलो कुछ पलों को चुराते है,
आज पुराने सुरों पर कोई नया गीत गाते है। - १
गुजरे वक्त को गर थामने की हो कोई तरकीब,
तो चलो फिर उसे भी मिलकर हम आजमाते है। - २
जब भी जरुरत पड़ी दोस्त तुम हमेशा साथ रहे,
आज फिर उम्मीदों का पतंग और ऊंचा उड़ाते है। - ३
याद है? बरगद के नीचे मिट्टी में ख़्वाब बोया था?
चलो उस ख़्वाब की हक़ीक़त देखने जाते है। - ४
- सौरभ वैशंपायन
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