Thursday, October 14, 2021

तमस

बहुत समीप मृत्यु के,
पहुँचा दशानन रावण,
छाया घनघोर अंधेरा,
घिरा विकराल ग्रहण ।।१।।

वड़वानल सा भव्य,
उठा मायावी रावण,
डगमग कापती धरा,
हुए क्रुद्ध नारायण ।।२।।

चमके धनुष पर प्रभु के,
अमोघ शक्ति का बाण,
हरने थे अंतिम जिसको,
उन्मत्त असुर के प्राण ।।३।।

देखोss
देखो ...
उठी मृत्यु की लहर
तमस का प्रहर
जगत पर छाया ।।४।।

वो
छूटा धनुष से तीर
अंधेरा चिर
त्रिलोक थर्राया ।।५।।

हुआ 
मुक्त सत्य मार्तण्ड
विजय जो प्रचंड
प्रभु ने पाया ।।६।।

 - सौरभ वैशंपायन

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